Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

सनातन संस्कृति

सनातन संस्कृति
~~°~~°~~°
गांठ बांध सुन लो इंसानो,
सत्य समृद्ध स्वरूप को जानो।
सनातन संस्कृति सर्वश्रेष्ठ धरा पर,
दिल से तुम मानो न मानो।

दया प्रेम का भाव जो रहता,
कण कण में ईश्वर है बसता ।
पत्थर पत्थर भोले शंकर ,
मन मस्तिष्क में रब भी बसता।

सगुण ब्रह्म स्वरूप अतिसुन्दर,
निर्गुण रुप में वो सबके अंदर।
श्रद्धा प्रेम जब मन जागृत होता,
निराकार ही साकार बन जाता।

वेद पुराण का ज्ञान धरा पर,
सत्य आह्लादित काम यहाँ पर।
करुणा दया अवतार धरा पर,
सत्य अहिंसा संसार यहाँ पर।

राम कृष्ण की पुण्य भूमि है,
नीति धर्म की विश्वजननी है।
बुद्ध को भी हमने पहचाना,
महावीर को भी अपना माना।

सनातन ही है जो सबको अपनाये,
चांद मियां सांई बन जाये।
शिरडी में तुम जाकर देखो,
नफरत मन से हटाकर देखो।

सूफी संत जब निर्गुण गाये,
हिन्दू जन मजार पर जाए।
जो भी जहां में अच्छा पाया,
हमने तो इसे सहर्ष अपनाया।

सहिष्णुता पाठ सारे जग को भाए,
इतिहास ने फिर क्यों ठोकर दिखलाये।
छल रहित व्यवहार ही शत्रु बन जाए,
बुजदिल जान ही लोग हमे भरमाये।

खोज रहा है अब तो भारत ,
वीर धनुर्धर कोई बने महारथ।
अपने संस्कृति की यदि रक्षा है करना,
फिर तोल-मोल और संगठित रहना।

बुद्ध महावीर की पुण्य भूमि में ,
हिंसा-द्वेष का स्थान कहाँ है ।
जो जन हिंसा करे यहाँ पर ,
बुलडोजर लेकर संत खड़ा है।

मौलिक एवं स्वरचित
मनोज कुमार कर्ण

71 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
■ धन्य हो मूर्धन्यों!
■ धन्य हो मूर्धन्यों!
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
Shweta Soni
चाहत किसी को चाहने की है करते हैं सभी
चाहत किसी को चाहने की है करते हैं सभी
SUNIL kumar
"बदलते भारत की तस्वीर"
पंकज कुमार कर्ण
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
पावस
पावस
लक्ष्मी सिंह
छाती
छाती
Dr.Pratibha Prakash
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
Vijay Nayak
"ढिठाई"
Dr. Kishan tandon kranti
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
goutam shaw
क्यूँ भागती हैं औरतें
क्यूँ भागती हैं औरतें
Pratibha Pandey
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
किसी के साथ की गयी नेकी कभी रायगां नहीं जाती
किसी के साथ की गयी नेकी कभी रायगां नहीं जाती
shabina. Naaz
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे
कवि दीपक बवेजा
फल का राजा जानिए , मीठा - मीठा आम(कुंडलिया)
फल का राजा जानिए , मीठा - मीठा आम(कुंडलिया)
Ravi Prakash
आप हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे , अपने
आप हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे , अपने
Raju Gajbhiye
चांद से सवाल
चांद से सवाल
Nanki Patre
📍बस यूँ ही📍
📍बस यूँ ही📍
Dr Manju Saini
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
होली
होली
Kanchan Khanna
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
The_dk_poetry
हिन्दू और तुर्क दोनों को, सीधे शब्दों में चेताया
हिन्दू और तुर्क दोनों को, सीधे शब्दों में चेताया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अगर एक बार तुम आ जाते
अगर एक बार तुम आ जाते
Ram Krishan Rastogi
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
Pramila sultan
समझदार बेवकूफ़
समझदार बेवकूफ़
Shyam Sundar Subramanian
#गुरू#
#गुरू#
rubichetanshukla 781
स्वतंत्र नारी
स्वतंत्र नारी
Manju Singh
Loading...