सदोका मालिका.. मैं कौन
मैं कौन
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मैं कौन होता
भाई लिखने वाला
जो लिखाता लिखता
प्रभु का अंश
जो है किरायेदार
शब्द विचार देता
आदेश मान
तुरंत ही लिखता
सदोका पे सदोका
उसकी इक्षा
साधन बन जाऊँ
ज्ञान जोत जगाऊँ
संसार दुखी
प्रभु को यह पता
निवारण हेतु चुना
मुझ अधम
उनका प्रयोजन
अवश्य होगा पूरा
मेरा निश्चय
प्रभु के काम आऊँ
अज्ञान को मिटाऊँ
मानवता की
दूर हों जो मुश्किलें
मानव कहलाऊँ
प्यारे मनुष्य
ज्ञानी हो तुम सब
प्रभु के गुण गाओ
उन्हें पसंद
वो सब अपनाओ
करो जन कल्याण
सुख संयोग
प्रभु की होती कृपा
उसका ध्यान करे
आपका ख्याल
प्रभु की संतान है
सुख है सुनिश्चित
(समाप्त)