Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 1 min read

“सदियों का सन्ताप”

“सदियों का सन्ताप”
सदियों का सन्ताप
बस हम ही झेल रहे हैं,
वे हमारे जज्बातों से
हर रोज खेल रहे हैं।

3 Likes · 3 Comments · 103 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मुरली की धू न...
मुरली की धू न...
पं अंजू पांडेय अश्रु
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण
Vandana Namdev
श्रेष्ठ वही है...
श्रेष्ठ वही है...
Shubham Pandey (S P)
जब तक आपका कामना है तब तक आप अहंकार में जी रहे हैं, चाहे आप
जब तक आपका कामना है तब तक आप अहंकार में जी रहे हैं, चाहे आप
Ravikesh Jha
किरदार निभाना है
किरदार निभाना है
Surinder blackpen
फूलों सा महकना है
फूलों सा महकना है
Sonam Puneet Dubey
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
Dr Archana Gupta
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
Vivek Mishra
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
पूर्वार्थ
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
किसी भी बहाने से उसे बुलाया जाए,
किसी भी बहाने से उसे बुलाया जाए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ बातों का ना होना अच्छा,
कुछ बातों का ना होना अच्छा,
Ragini Kumari
23/215. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/215. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कारोबार
कारोबार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
हिदायत
हिदायत
Dr. Rajeev Jain
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
Rj Anand Prajapati
"वक़्त की मार"
पंकज परिंदा
किताब
किताब
Sûrëkhâ
क्या चरित्र क्या चेहरा देखें क्या बतलाएं चाल?
क्या चरित्र क्या चेहरा देखें क्या बतलाएं चाल?
*प्रणय*
*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*
*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
हुआ क्या है
हुआ क्या है
Neelam Sharma
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
Kumar lalit
अविरल होती बारिशें,
अविरल होती बारिशें,
sushil sarna
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
Ajit Kumar "Karn"
मांँ
मांँ
Diwakar Mahto
भीग जाऊं
भीग जाऊं
Dr fauzia Naseem shad
"मंजर"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...