Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2023 · 1 min read

■ भाषा का रिश्ता दिल ही नहीं दिमाग़ के साथ भी होता है।

■ भाषा का रिश्ता दिल ही नहीं दिमाग़ के साथ भी होता है।

1 Like · 235 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
डॉ० रोहित कौशिक
2972.*पूर्णिका*
2972.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वक्ष स्थल से छलांग / MUSAFIR BAITHA
वक्ष स्थल से छलांग / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
Suryakant Dwivedi
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
Vishal babu (vishu)
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
Neeraj Agarwal
करते बर्बादी दिखे , भोजन की हर रोज (कुंडलिया)
करते बर्बादी दिखे , भोजन की हर रोज (कुंडलिया)
Ravi Prakash
जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी
जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
जवानी
जवानी
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
विमला महरिया मौज
खामोशी की आहट
खामोशी की आहट
Buddha Prakash
"रात का मिलन"
Ekta chitrangini
*दीवाली मनाएंगे*
*दीवाली मनाएंगे*
Seema gupta,Alwar
आभ बसंती...!!!
आभ बसंती...!!!
Neelam Sharma
उन कचोटती यादों का क्या
उन कचोटती यादों का क्या
Atul "Krishn"
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
काली घनी अंधेरी रात में, चित्र ढूंढता हूं  मैं।
काली घनी अंधेरी रात में, चित्र ढूंढता हूं मैं।
Sanjay ' शून्य'
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
छोड दो उनको उन के हाल पे.......अब
छोड दो उनको उन के हाल पे.......अब
shabina. Naaz
कविता बाजार
कविता बाजार
साहित्य गौरव
पापा , तुम बिन जीवन रीता है
पापा , तुम बिन जीवन रीता है
Dilip Kumar
टूट कर भी
टूट कर भी
Dr fauzia Naseem shad
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
Rj Anand Prajapati
बरबादी   का  जश्न  मनाऊं
बरबादी का जश्न मनाऊं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आब त रावणक राज्य अछि  सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
आब त रावणक राज्य अछि सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
DrLakshman Jha Parimal
संवेदना -जीवन का क्रम
संवेदना -जीवन का क्रम
Rekha Drolia
🔥वक्त🔥
🔥वक्त🔥
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
#सामयिक_कविता
#सामयिक_कविता
*Author प्रणय प्रभात*
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
surenderpal vaidya
Loading...