सत्संग
सत्संग में, सत्संग नहीं
सत्संग में बहुत लोग बैठते है,
पर सत्संग बहुत कम लोगो में बैठता है।
कुर्सी तो सबको मिल जाती है,
पर सत्संग का फल, सबको नहीं मिलता है।
कई लोग, दिखावा करते हैं,
कई लोग, नाम जपते हैं।
कई लोग, ताली बजाते हैं,
पर सत्संग का अर्थ, समझ नहीं पाते हैं।
सत्संग, मन का बदलाव है,
अपने अंदर झांकने का अवसर है।
अपने गलतियों को पहचानने का,
और उन्हें सुधारने का मौका है।
सत्संग, केवल बैठने का नाम नहीं,
यह, आत्म-साक्षात्कार का द्वार है।
यह, जीवन को बदलने का,
और सच्चा आनंद पाने का रास्ता है।
तो, जब आप सत्संग में बैठें,
तो सिर्फ बैठना ही काफी नहीं है।
अपने मन को शांत करें,
और सत्संग के अर्थ को समझने का प्रयास करें।
तभी, आपको सच्चा सत्संग मिलेगा,
और आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।