सत्य
काव्य सर्जन गीत —
सत्य —
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सीधी-सच्ची बातें कहता, सदा अमंगल टाला है।
सत्य वचन जो बोले मानव, प्रभु उसका रखवाला है।।
सदा सत्य जयकारा होती, झूठे का मुँह काला है।
सत्य वचन जो बोले मानव, प्रभु उसका रखवाला है।।
संत ऋषि और ज्ञानी ध्यानी,सदा सत्य को पाला है।
सत्य वचन जो बोले मानव,प्रभु उसका रखवाला है।।
सतयुग के नृप थे हरिश्चन्द्र,राजा होकर कष्ट मिले।
पुत्र और वामा को बेचा, सत्य-धर्म पर अडिग चले।
मुदित हुए तब हरि नारायण, प्रभु पहनाए माला है।
सत्य वचन जो बोले मानव, प्रभु उसका रखवाला है।
मन कर्म अरु वचन से मितवा, सदा सत्य संधान करो।
झूठ बोलना पाप सदा से,रसना प्रभु गुणगान करो।।
तोल-मोल कर वाणी बोलो, पीनी पड़े न हाला है।
सत्य वचन जो बोले मानव, प्रभु उसका रखवाला है।।
सत्यं शिवम् सुन्दरम् रीझें,सकल विश्व कल्याण करें।
जैसा देखो वैसा बोलो, झूठ कर्म से प्राण टरें।।
पाप कलुष तम नाश हुआ फिर, पुण्य कर्म बल ढाला है।
सत्य वचन जो बोले मानव, प्रभु उसका रखवाला है।।
✍️ सीमा गर्ग ‘मंजरी’
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।