सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य की खोज में भटक रहा है यह मन मेरा,
सत्य मिलता कहाँ है पूछती हूं सवाल बड़े-बड़े गुरुओं से मैं,
लेकिन कोई नहीं बता पाया जवाब इसका
कहा, “सत्य अपने भीतर खोजो, वहीं कहीं छिपा है।”
मन के भीतर झाँका , लेकिन कुछ भी नहीं मिला
फिर पूछा मैंने एक बुद्धिमान से, तो उसने कहा –
“सत्य अनुभव है, उसे शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता।”
तब मन ने मेरे अनुभव की राह पकड़ी,
और फिर सत्य से मेरा साक्षात्कार हुआ
अब मन भटकता नहीं मेरा इसकी खोज में,
क्यूंकि सत्य के सागर में यह लीन है।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार