सत्य की खोज
सत्य खोजने जो चला मैं शास्त्रों में
सत्य जीतने की शक्ति ढूंढू शस्त्रों में
कभी सत्य ढूंढता ये मुखमुद्राओं में
कभी ढूंढता द्रव्य मणि मुद्राओं में
कभी ढूंढता हूं गुरु की कक्षाओं में
तो कभी जीवन की ये परिक्षाओं में
पर सत्य पाता खिले जंगली फूल में
ये निर्मल बहती धाराओं के मूल में
एक मासूम बच्चे की किलकारी में
एक मां के ममता की किरदारी में
सत्य सुनता चिड़िया की चहक में
सत्य सूंघता मिट्टी सोंधी महक में
सत्य देखता सूरज की किरणों में
पाता सत्य मरीचिका सी हिरणों में
सत्य मधु,सत्य पराग,सत्य वह मोती
खोज इसकी बाहर नही अंदर में होती
सत्य खोजने पहले खोजने होती दृष्टि
वो दृष्टि मिले तो सत्य लगे सारी सृष्टि
~०~
सत्य की खोज: काव्य प्रतियोगिता: रचना संख्या -०२:
स्वरचित और मौलिक © जीवनसवारो
१९, मार्च,२०२४.