Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2024 · 1 min read

सत्य कभी निरभ्र नभ-सा

सत्य कभी निरभ्र नभ-सा,
कभी छुप जाए घन-अंधकारा।
पर नित रहता यह दृगों के सामने,
दिल की आँखों में बसता प्यारा।

सत्य कभी अनवरत प्रकाश सा,
कभी है वो आसमान का ध्रुव तारा।
पर दिखाए अंधकार में रास्ता,
तो कभी भटके हुए को घर ले आता।

सत्य के पथ पर जो भी चलता,
कभी भी उसको भय नहीं सताता।
ज्यों घन छँटते ही दीप्त हो उठे मन,
सत्य का प्रकाश भी त्यों जगमगाता।

झूठ के घने अंधेरे को चीरता,
सत्य का सूरज सदा ही चमकता।
अंधियारे को मिटाता जाता,
सत्य ही ज्ञान का दीप है जलाता।

सत्य का ज्ञान जीवन की दिशा,
और झूठ का साथ है पथ का विघ्न।
सत्य की विजय है सदैव निश्चित,
और झूठ की हार है अपरिहार्य।

इसलिए हे मनुष्य,
सत्य का ही तुम करण करना।
सत्य की ही राह पर चलना,
और झूठ से तुम कोसों दूर रहना।

– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार

3 Likes · 119 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मौसम ए बहार क्या आया ,सभी गुल  सामने आने लगे हैं,
मौसम ए बहार क्या आया ,सभी गुल सामने आने लगे हैं,
Neelofar Khan
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे
पूर्वार्थ
बहुत ख्वाहिश थी ख्वाहिशों को पूरा करने की
बहुत ख्वाहिश थी ख्वाहिशों को पूरा करने की
VINOD CHAUHAN
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कोई अवतार ना आएगा
कोई अवतार ना आएगा
Mahesh Ojha
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
Sunil Maheshwari
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
एहसासों को अपने अल्फ़ाज़ देना ,
एहसासों को अपने अल्फ़ाज़ देना ,
Dr fauzia Naseem shad
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
Ravi Betulwala
"देह एक शीशी सदृश और आत्मा इत्र।
*प्रणय*
4338.*पूर्णिका*
4338.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*गाली जब होती शुरू, बहस समझिए बंद (कुंडलिया)*
*गाली जब होती शुरू, बहस समझिए बंद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"संकल्प"
Dr. Kishan tandon kranti
आकर्षण मृत्यु का
आकर्षण मृत्यु का
Shaily
*मिट्टी की वेदना*
*मिट्टी की वेदना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बाकी है...!!
बाकी है...!!
Srishty Bansal
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुझे मेरी
मुझे मेरी ""औकात ""बताने वालों का शुक्रिया ।
Ashwini sharma
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
दरिया की लहरें खुल के - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
बेशर्मी के कहकहे,
बेशर्मी के कहकहे,
sushil sarna
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कठोर व कोमल
कठोर व कोमल
surenderpal vaidya
आओ प्यारे कान्हा हिल मिल सब खेलें होली,
आओ प्यारे कान्हा हिल मिल सब खेलें होली,
सत्य कुमार प्रेमी
17)”माँ”
17)”माँ”
Sapna Arora
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr. Priya Gupta
शर्ट के टूटे बटन से लेकर
शर्ट के टूटे बटन से लेकर
Ranjeet kumar patre
मैं उसकी देखभाल एक जुनूं से करती हूँ..
मैं उसकी देखभाल एक जुनूं से करती हूँ..
Shweta Soni
**** दर्द भरा मुक्तक *****
**** दर्द भरा मुक्तक *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मोम की गुड़िया
मोम की गुड़िया
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
Loading...