सत्य एक श्री राम
क्यों होता हैरान मानव
खोज रहा क्यों सत्य तू
तुझ में मुझ में हर प्राणी में
पहचान ले अब सत्य तू
दूर नहीं है सत्य तुझसे
सत्य बसा है पास तेरे
भ्रमित होकर खोज रहा
ज्यों पास नहीं तेरे मेरे
सत्य है जनम सत्य ही मरना
सत्य ही दाता सत्य विधाता
सत्य प्रेम है सत्य घृणा है
सत्य राम से सबका नाता
सत्य है ईश्वर सत्य सनातन
सत्य है पूजा सत्य संकीर्तन
सत्य है जीव सत्य अविनाशी
सत्य संकल्प से चलता जीवन
सत्य खोज मत करना बाहर
सत्य बसा है हृदय तुम्हारे
सत्य धर्म है सत्य कर्म है
जीवन मृत्यु दो नदी किनारे
सत्य प्रवाह की बहती धारा
जिन्दगी चलती सत्य सहारे
अंतर मन में खोज करे हम
सत्य एक श्री राम हैं प्यारे।
राजेश कौरव सुमित्र