सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते।
मिथ्या कदापि न जयते।।
सत्य में दृढ़ता है
सत्य में अक्षुणता है
सत्य में शश्वता है
सत्य में सुन्दरता है।
सत्य, सर्वदा सत्य है
वह धरा की गहराइयों में है
अनंत अंतरिक्ष की ऊंचाइयों में हैं
अंतर्मन की अंतरात्मा में है।
सत्य छिपा है:
खोज बिन जारी है
वह कभी न हारी है
उसकी गाड़ी अगारी है।
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स्वरचित और मौलिक
घनश्याम पोद्दार
मुंगेर