Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2024 · 1 min read

“बन्धन”

“बन्धन”
भागत फिरत कहाँ जात हौ
ये रंग नहीं है चोरी का,
ठहर जाओ री बालमवा
ये बन्धन प्रेम की डोरी का.

1 Like · 1 Comment · 26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
ये आँधियाँ हालातों की, क्या इस बार जीत पायेगी ।
ये आँधियाँ हालातों की, क्या इस बार जीत पायेगी ।
Manisha Manjari
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
मेरे हृदय ने पूछा तुम कौन हो ?
Manju sagar
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
कृष्णकांत गुर्जर
जाग री सखि
जाग री सखि
Arti Bhadauria
"चाँद-तारे"
Dr. Kishan tandon kranti
एक हैसियत
एक हैसियत
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जब  फ़ज़ाओं  में  कोई  ग़म  घोलता है
जब फ़ज़ाओं में कोई ग़म घोलता है
प्रदीप माहिर
मर्दों वाला काम
मर्दों वाला काम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हंसते ज़ख्म
हंसते ज़ख्म
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
माँ स्कंदमाता की कृपा,
माँ स्कंदमाता की कृपा,
Neelam Sharma
ग़ज़ल/नज़्म - शाम का ये आसमांँ आज कुछ धुंधलाया है
ग़ज़ल/नज़्म - शाम का ये आसमांँ आज कुछ धुंधलाया है
अनिल कुमार
अपना-अपना
अपना-अपना "टेलिस्कोप" निकाल कर बैठ जाएं। वर्ष 2047 के गृह-नक
*Author प्रणय प्रभात*
नारी को मानसिक रूप से
नारी को मानसिक रूप से
Dr fauzia Naseem shad
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
छोड़ चली तू छोड़ चली
छोड़ चली तू छोड़ चली
gurudeenverma198
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
बीमार समाज के मसीहा: डॉ अंबेडकर
बीमार समाज के मसीहा: डॉ अंबेडकर
Shekhar Chandra Mitra
कविता
कविता
Vandana Namdev
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
तेरी इस बेवफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
Phool gufran
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"दुमका संस्मरण 3" परिवहन सेवा (1965)
DrLakshman Jha Parimal
बुद्ध को अपने याद करो ।
बुद्ध को अपने याद करो ।
Buddha Prakash
💐प्रेम कौतुक-429💐
💐प्रेम कौतुक-429💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*चलते-चलते मिल गईं, तुम माणिक की खान (कुंडलिया)*
*चलते-चलते मिल गईं, तुम माणिक की खान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
Vindhya Prakash Mishra
गुरुवर
गुरुवर
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
शब्दों से बनती है शायरी
शब्दों से बनती है शायरी
Pankaj Sen
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
चूड़ी पायल बिंदिया काजल गजरा सब रहने दो
चूड़ी पायल बिंदिया काजल गजरा सब रहने दो
Vishal babu (vishu)
Loading...