सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं:: जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट१४०)
घनाक्षरी:–
———- सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं अलौकिक ,
आत्मपद पर वही होता है सुशोभित ।
निरावृत दृष्टि और पाकर वह सद्ज्ञान,
खिल कर कमल – सा होता है सुवासित ।
क्षणभंगुरता को है जो मानता न शाश्वत,
लाभ पा आथ्यात्मिक होता है सुविकसित।
निरायास, निर्विकार, होकर जो निर्विचार,
रहता उदारमना और सुप्रतिष्ठित ।।३/ ७६!!
—- जितेंद्रकमलआनंद
शिव मंदिर , सॉई विहार, रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
७०१७७११०१८