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6 Dec 2023 · 4 min read

#सत्यकथा

✍️

★ #सत्यकथा ★

(जब अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को विवादित ढांचा कहकर गिराने की बातें चल रही थीं, तब यह कविता लिखी गई थी।)

★ #सत्यकथा ★

वो मेरा बड़ा प्यारा दोस्त था
हंसता रहता था
हंसाता रहता था
उस दिन इतिहास के मोड़ पर मिला
कुछ उदास-सा दिखा
पहले तो गाता रहता था
सोने की चिड़िया-सा चहचहाता रहता था
मैंने कहा
चुटकुला सुनोगे
उसने सूनी आंखों से मुझे निहारा
फिर जैसे किसी अंधे कुएं से पुकारा
मेरी बांईं बांह में दर्द है
मैंने विश्वास तो नहीं किया
पर उसकी खोखली आवाज़ से डर गया
और शायद डरकर ही
मैं अपने घर लौट आया

कुछ दिन बाद
मैं फिर उधर से निकला
वो वहीं खड़ा था
सच कहूं मुझ पर
उसके अहसानों का बोझ बड़ा था
बल्कि मैं उसी के कारण
आज इस धरती पर खड़ा था
मैंने उसे सहलाना चाहा
उसके दु:खों को बंटाना चाहा
मैंने कहा
हास्य-व्यंग्य की कविता सुनाऊं?
वो बोला
क्या बताऊं
सर दर्द से फटा जा रहा है
ऐसा लगता है जैसे कोई मुझे
पीछे बुला रहा है
मैंने कहा
चलो पीछे लौटकर देखते हैं
शायद तुम्हारा कुछ खो गया है
या यूं ही तुम्हें वहम हो गया है
उसने जैसे शर्म से गर्दन झुका ली
सूरत और भी गमगीन बना ली
कहने लगा
यह मुमकिन नहीं है
यह मुमकिन नहीं कि मैं लौट चलूं
मेरा तो जी करता है आगे चलूं
मगर
मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है
ऐसा लगता है जैसे कोई मुझे
पीछे बुला रहा है
मेरी समझ में कुछ नहीं आया
मैं अपने घर लौट आया

सारी रात सोचता रहा
उसके मुझ पर बहुत अहसान थे
मेरे जिस्म के हर हिस्से पर
उसकी मुहब्बत के निशान थे

अगला दिन निकलते ही
बल्कि मुंहधुंधलके ही
मैं फिर वहीं पहुंच गया
वो वहीं खड़ा था
वापिस नहीं लौट गया था
इरादों का पक्का बड़ा था
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा
उसने मेरी ओर देखा
मैं सहम गया
उसकी एक आंख नम थी
बांयां कंधा थोड़ा झुका हुआ था
मैंने धीरे-से कहा
आओ आगे ही चलते हैं
सैर पर निकलते हैं
आगे बहुत सुन्दर वादियां हैं
मनभावन घाटियां हैं
तुम्हारा मन बहल जाएगा
कुछ वक्त अच्छा निकल जाएगा

अबकी बार तो उसने
सिर भी नहीं उठाया
धीमे-से बुदबुदाया
मेरी एक आंख से पानी बह रहा है
दूसरा कंधा झुका जा रहा है
मैं चल नहीं पाऊंगा
लगता है रास्ते में ही गिर जाऊंगा
मेरा मन भर उठा
मैं भीतर तक सिहर उठा
कितना हंसता-हंसाता था
सोने की चिड़िया-सा चहचहाता था
ये इसको क्या हो गया
वो इसका पहले-सा रूप
कहां खो गया

मुझसे रहा नहीं गया
मैं दोपहर को ही फिर वहां गया
लेकिन थोड़ी दूर ही ठहर गया
मेरा दोस्त !
अब न तो खड़ा था
न ही लम्बा पड़ा था
दोनों हाथों से पेट को पकड़े
दुहरा हुआ जा रहा था
पहले तो हौसला ही नहीं हुआ
फिर दूर से ही पूछा
क्या हुआ ?

मेरा दोस्त
हंसता-हंसाता रहता था
सोने की चिड़िया-सा चहचहाता रहता था
इक अजब-से अंदाज़ में
उसने मरी-सी आवाज़ में
मुझे अपने पास बुलाया
कहने लगा
तुम बहुत भोले हो
आज कविता की समझ किसको है
आज चुटकुला कौन सुनता है
और जो सुन भी रहे हैं
उनमें से हंसने की समझ किसको है
यूं ही बेमौके-बेमतलब हंसते हैं
ये चुटकुले ये हास्य-व्यंग्य की कविता
सब पुराना घिसा-पिटा अफसाना है
यकीन जानो
आज सत्यकथाओं का ज़माना है
मैं उससे सटकर
बल्कि यूं कहूं कि लिपटकर
बिलख-सा उठा
दोस्त !
ये तुम्हें क्या हो गया है
वो तुम्हारा पहले वाला रूप
कहां खो गया है
तुम तो बहुत हंसते-हंसाते थे
सोने की चिड़िया-सा चहचहाते थे
मुझे सब सच-सच बताओ
अब कुछ भी न छुपाओ

वो पेट को पकड़े-ही-पकड़े
धीमे-से मुस्कुराया
दर्द बहुत था उसकी मुस्कान में
कहने लगा
सच-सच ही बताऊंगा
कुछ भी नहीं छुपाऊंगा
मेरे पेट में छुरियां चल रही हैं
मेरे पांवों की तलियां जल रही हैं
मेरा एक कंधा झुका जा रहा है
मेरी एक आंख से पानी बह रहा है
मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है
मेरी बांह
मेरी दाईं बांह दर्द कर रही है
यह सब जो मुझ पर गुज़र रही है
जानते हो इस सब के पीछे कौन है ?
क्या तुम समझते हो कि इस बारे में
इतिहास मौन है ?
नहीं,
उसने मुझे बताया है
जितने भी मेरे इरादे हैं
जितने भी मेरे सपने हैं
उन सबको तोड़ने के लिए
मुझे बीते वक्त की ओर मोड़ने के लिए
जो ज़िम्मेदार हैं
वो सब मेरे अपने हैं
और सुनो !
यह कोई चुटकुला नहीं है
यह हास्य-व्यंग्य की कविता भी नहीं है
और मैं तुमसे
जो मेरा अपना ही हिस्सा है
मैं झूठ बोलूं
क्या कोई ऐसी प्रथा है !
सुनो ! ध्यान से सुनो
यह सत्यकथा है
मैं मर रहा हूं
मुझे बचा लो
नहीं तो पछताओगे
याद रखो
मेरे साथ-ही-साथ
तुम भी मर जाओगे ।

साथियो !
क्या कोई मेरी मदद करेगा
जो करेगा
उसे इसी धरती पर पुनर्जन्म मिलेगा
हां, इसी धरती पर
जिसका नाम हिन्दुस्थान है
और, साथियो !
वो मेरा दोस्त
जो बहुत हंसता-हंसाता था
सोने की चिड़िया-सा चहचहाता था
अब कराहता रहता है
बहुत उदास रहता है
गीत-कविता-चुटकुला कुछ नहीं सुनता
सत्यकथा सुनाता है
जो बड़ा ही परेशान है
धीमे-से कहता है
मेरा ही नाम हिन्दुस्थान है
मेरा ही नाम हिन्दुस्थान है ! ! !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२ — ७०२७२-१७३१२

Language: Hindi
115 Views
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