सतगुरु सत्संग
सतगुरु सत्संग
करले संंगत सतगुरु की भव सागर तर जायेगा |
सत्कर्म साथ चलेंगे सब धरा यहीं रह जायेगा |टेक
जग में आया नाम कमाया माया की कमी नही |
आगे बढ़ता रहा पिछे मुड़कर कभी देखा नही ||
सही गलत क्या होता है भेद समझ ना पायेगा ||1||
दुनियाँ की इस चकाचौंध मे मन तेरा भरमाया है |
ज्यो ढ़ुढ़े कस्तूरी का मृग पर कस्तूरी नही पाया है ||
आत्मसात करलै मन को तभी लक्ष्य को पायेगा ||2|
गुरु दिखाये मार्ग ज्ञान का उस पर चलना प्राणी |
मात-पिता और गुरु सा होगा ना कोई कल्याणी ||
जीवन के झंझावात से गुरु ही पार लगायेगा ||3||
डॉ पी सी बिसेन बालाघाट