सजता जीवन
लगती अच्छी
सज्जा सब को
घर आँगन और
देश समाज
सजे झूले
सावन झूमें
फैली हरियाली
चहुंओर
लगे
सजावट से
घर सुन्दर
रहे खुश
पूरा परिवार
सज्जा
झांकियों की
मचे धूम जब
सजे किशन
होती
सज्जा
हाथों की
बांधे जब बहन
राखी
भाई को
होती
सज्जा
माता पिता की
जब दें बच्चे
उन्हें सम्मान
उत्तम विचार
और सदाचार से
जब महके
बच्चों का
यही है उनकी
सज्जा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल