“सच”
सच को जितना दबाओ
उसकी जड़
उतनी ही मज़बूत होती है
और फिर वह उभरता है
पहले से अधिक शक्तिशाली रूप मे..।
सच दूब की तरह
अपनी कब्र से जीवित हो जाता है…
इतिहास गवाह है,
सच को जितनी बार
मारने की कोशिश की गई
वह वहीँ पर उतनी ही बार
अमर हुआ है,
कभी ईसा के रूप मे,
कभी मीरा के रूप में.