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26 Apr 2021 · 1 min read

सच के बीना कहीं गुजारा नही है

सच के बीना कहीं गुजारा नही है
तुमने ये सच जहन में उतारा नही है

साजिशन अफ़वाह उड़ाई जा रही है
तुम्हारा प्रधान इतना नाकारा नही है

जिसे दोस्त समझ बैठे हो प्रधान मेरे
वो अमेरिका दोस्त तुम्हारा नही है

वसुधैव कुटुम्बकंम अब बहुत होगया
ये पुरी वसुधा परिवार हमारा नही है

नेकी का हासिल है ये दर्द का समंदर
जिसमें लहरें तो हैं किनारा नही है

मदद का हाथ अब मुफ्त मे मत दो
यहां सब स्वार्थी हैं कोई विचारा नही है

तमाम रात भर चमकता तो है सच है
मगर ये जुगनू है यार मेरे सितारा नही है

सियासत न करो लाशों पर हुक्मरानों
तनहा तुम्हीं हो कोई और सहारा नही है

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