सच के बीना कहीं गुजारा नही है
सच के बीना कहीं गुजारा नही है
तुमने ये सच जहन में उतारा नही है
साजिशन अफ़वाह उड़ाई जा रही है
तुम्हारा प्रधान इतना नाकारा नही है
जिसे दोस्त समझ बैठे हो प्रधान मेरे
वो अमेरिका दोस्त तुम्हारा नही है
वसुधैव कुटुम्बकंम अब बहुत होगया
ये पुरी वसुधा परिवार हमारा नही है
नेकी का हासिल है ये दर्द का समंदर
जिसमें लहरें तो हैं किनारा नही है
मदद का हाथ अब मुफ्त मे मत दो
यहां सब स्वार्थी हैं कोई विचारा नही है
तमाम रात भर चमकता तो है सच है
मगर ये जुगनू है यार मेरे सितारा नही है
सियासत न करो लाशों पर हुक्मरानों
तनहा तुम्हीं हो कोई और सहारा नही है