सच की हरदम ही जय होवे
नया वर्ष मंगलमय होवे,
दुःख-दर्दों का ख़ुद क्षय होवे.
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रमा जो निज आनंद ह्रदय में,
पस्त हर इक उससे भय होवे.
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कभी जो बिछड़ा कोई अपना,
पुनः वो अपनों में लय होवे.
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हारे झूठ की कारस्तानी,
सच की हरदम ही जय होवे.
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‘सरस’ भूमिका क्या है तुम्हारी,
स्वयं स्वयं से ही तय होवे.
*सतीश तिवारी ‘सरस’