Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2024 · 1 min read

सच की माया

आज मैं हूँ उलझन में
अपनों से अनबन में
जो कभी सोचा नहीं वो
घट रहा है जीवन में
झूठ और फरेब ही क्या
आज बहुमूल्य है
मेहनत के पानी से अब
मुरझाये क्यों फूल हैं
बचपन में सिखाया था
कि चोरी करना पाप है
पूछते हैं अब वही
कमाते क्या आप हैं
कहा कि वही कमाते हैं
जो देती सरकार हैं
तब हँसकर पूछते हैं
बस यही दरकार है
इसी दिन के लिये क्या
तुमको पढ़ाया था
सच्चाई की पड़ी ये
तुमपे कैसी माया है

1 Like · 85 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सूखे सावन" का वास्ता सिर्फ़ और सिर्फ़ "अंधों" से ही होता है।
*प्रणय*
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
Rj Anand Prajapati
जीवन सरल नही
जीवन सरल नही
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
I met myself in a weed-flower field,
I met myself in a weed-flower field,
Manisha Manjari
तुम नहीं!
तुम नहीं!
Anu Kumari Singh
"There comes a time when you stop trying to make things righ
पूर्वार्थ
3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
गिरगिट को भी अब मात
गिरगिट को भी अब मात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ध्यान करने परमपिता का
ध्यान करने परमपिता का
Chitra Bisht
कितने ही वादे करें,
कितने ही वादे करें,
sushil sarna
मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
Dr Tabassum Jahan
सुन मेरे बच्चे
सुन मेरे बच्चे
Sangeeta Beniwal
*Dr Arun Kumar shastri*
*Dr Arun Kumar shastri*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
"यादें" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कात्यायनी मां
कात्यायनी मां
मधुसूदन गौतम
रिश्तों में झुकना हमे मुनासिब लगा
रिश्तों में झुकना हमे मुनासिब लगा
Dimpal Khari
वोट कर!
वोट कर!
Neelam Sharma
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
Paras Nath Jha
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
**माटी जन्मभूमि की**
**माटी जन्मभूमि की**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
Ranjeet kumar patre
चंद दोहा
चंद दोहा
सतीश तिवारी 'सरस'
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
Jitendra Chhonkar
कई बार हमें वही लोग पसंद आते है,
कई बार हमें वही लोग पसंद आते है,
Ravi Betulwala
दोस्ती की कीमत - कहानी
दोस्ती की कीमत - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Loading...