सच की कोई कीमत नहीं बाज़ार में
कीमत नहीं है आज दुनिया के बाजार में
उस बात की जो सच को बेचता है सरे बाजार में
मिल जाते हैं झूठ का साथ देने वाले अनगिनत
कुछ भी बेच जाते हैं भरे पुरे बाज़ार में !!
ताकता रहता है वो किसी ऐसे ग्राहक को
जो आकर लगा दे कीमत उस के सामान की
शाम तक ऑंखें भी थक गयी न कोई मिला ऐसा
जी कीमत दे सके, सच बेचने वाले इंसान की !!
दुनिया में झूठ का बहुत बोलबाला है
एक अबला चली बेचने अपना सच का आला है
फरेबिओं ने साथ देने को सच कह दिया उस से
पर लूट कर खा लिया उसको रहा झूठ का बोलबाला है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ