Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2024 · 1 min read

मनुज न होता तो ऐसा होता

मनुज न होता तो ऐसा होता,
न उड़ान मेरे सपनों में होता,
पर्वत- निर्झर- सागर- तरुवर,
उड़ता- फिरता इधर- उधर फुर्र,
प्रात कलरव की देता सौगात,
ले मलय पर्वत से शीतल वात,
सुप्त जीव में नव- सुरभि नव- जागृति भरता,
मनुज न होता तो ऐसा होता ।
तिनका- तिनका से रचता आवास,
होते वहीं सारी खुशियों का वास,
होते वहीं नन्हे नन्हे बच्चे खास,
पत्तों के झिलमिल से होता प्रकाश,
ची- ची चुं- चुं से गुंजित वन- उपवन होता,
मनुज न होता तो ऐसा होता।
होकर पिंजरबद्ध क्या मैं गाऊँ,
अपनी व्यथित हृदय किसे दिखाऊँ,
जाने कैसे होंगे मेरे परिजन,
रोते होंगे या ढुँढ रहे होंगे मुझे वन- वन,
पराधीन से अच्छा था कहीं मरण,
बंद नयन से करूँ किस किस का सुमिरन,
जंजीर तोड़ अगर कहीं मैं उड़ पाता,
मनुज न होता तो ऐसा होता।

उमा झा🙏💕

Language: Hindi
26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all
You may also like:
आंखों से बयां नहीं होते
आंखों से बयां नहीं होते
Harminder Kaur
आप हरते हो संताप
आप हरते हो संताप
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मुर्दे भी मोहित हुए
मुर्दे भी मोहित हुए
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
Rj Anand Prajapati
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
2931.*पूर्णिका*
2931.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
...
...
*प्रणय प्रभात*
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
क्यों बनना गांधारी?
क्यों बनना गांधारी?
Dr. Kishan tandon kranti
क्या वायदे क्या इरादे ,
क्या वायदे क्या इरादे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
एक सही आदमी ही अपनी
एक सही आदमी ही अपनी
Ranjeet kumar patre
गल्प इन किश एण्ड मिश
गल्प इन किश एण्ड मिश
प्रेमदास वसु सुरेखा
वन उपवन हरित खेत क्यारी में
वन उपवन हरित खेत क्यारी में
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
कृष्णकांत गुर्जर
राजनीतिक संघ और कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ: शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
राजनीतिक संघ और कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ: शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
Shyam Sundar Subramanian
सच तो तस्वीर,
सच तो तस्वीर,
Neeraj Agarwal
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
मन का कारागार
मन का कारागार
Pooja Singh
भूख
भूख
RAKESH RAKESH
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
Dr Archana Gupta
भाव और ऊर्जा
भाव और ऊर्जा
कवि रमेशराज
मौत का डर
मौत का डर
अनिल "आदर्श"
एक जिद मन में पाल रखी है,कि अपना नाम बनाना है
एक जिद मन में पाल रखी है,कि अपना नाम बनाना है
पूर्वार्थ
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
कवि दीपक बवेजा
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
"बेरंग शाम का नया सपना" (A New Dream on a Colorless Evening)
Sidhartha Mishra
Loading...