भ्रातृ चालीसा....रक्षा बंधन के पावन पर्व पर
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
* बेटों से ज्यादा काम में आती हैं बेटियॉं (हिंदी गजल)*
निर्मल निर्मला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
चलो, इतना तो पता चला कि "देशी कुबेर काला धन बांटते हैं। वो भ
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
23/152.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
बह्र -212 212 212 212 अरकान-फ़ाईलुन फ़ाईलुन फ़ाईलुन फ़ाईलुन काफ़िया - आना रदीफ़ - पड़ा
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
खरीद लो दुनिया के सारे ऐशो आराम
सादिक़ तकदीर हो जायेगा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali