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16 Sep 2024 · 1 min read

सच्चे होकर भी हम हारे हैं

गहरी खाई वाले किनारे हैं
सच्चे होकर भी हम हारे हैं

ढिठाई से झूठ बोल जाते हैं
सबको एक सा तोल जातें हैं
जुबां ऐसी की क्या कहा जाए
सबके मन में ज़हर घोल जातें हैं

गर्दिश में लगते सितारे हैं
सच्चे होकर भी हम हारे हैं

कोशिश नाकाम हो गयी है
वो गली बदनाम हो गई है
एक – एक करके दुश्मन हुए
बदले की भावना आम हो गई है

खौलते दिख रहे फब्बारे है
सच्चे होकर भी हम हारे हैं

तु सबको पालने वाला है
सबमें जान डालने वाला है
समय को समय से बदलकर
मौत के मुंह से निकालने वाला है

दोनों हाथ फैलाये तेरे द्वारे है
सच्चे होकर भी हम हारे हैं।

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
18 Views
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