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11 May 2018 · 1 min read

–सच्ची शिक्षा–

–सच्ची शिक्षा–

शिक्षा अनमोल हीरा,जड़ जीवन अँगूठी में।
चार चाँद लगाए ये,मनुज शान अनूठी में।।
ज्ञान चक्षु खोले बंद,मिले तब घना आनंद।
आदर सत्कार बढ़ता,मिटते संकट के फंद।।

अधिकार जाने मानव,सफल उड़ान भरता नित।
सौन्दर्य शील सभ्य बन,सक्षम करता हृदय चित।।
पल्लव-सा हरा बनता,पुष्प-सा कोमल दिखता।
क्षण-क्षण जीवन का पूर्ण,होकर फिर है सँवरता।।

सदाचारी व्यवहारी,बनाती है शिक्षा सुन।
दिव्य और चमत्कारी,बनाती है शिक्षा सुन।।
अहं मिटा संस्कार सब,सिखाती है शिक्षा सुन।
गंतव्य का मार्ग सरल,दिखाती है शिक्षा सुन।।

मानव जाति बनेगी,मानवता धर्म होगा।
सच्ची शिक्षा का सुनो,जब भी संचरण होगा।।
शिक्षा समभावी करे,भेद मन से निकालकर।
शिक्षा मेधावी करे,अवगुण कवलित काल कर।।

सभ्य बनो शिक्षित बनो,यही श्रेष्ठ कर्म मानव।
मनुज को मनुज समझिए,यही श्रेष्ठ धर्म मानव।।
स्वयं को जानना सीख,यही सुखद मर्म मानव।
पाँच विकार बनते हैं,विनाश का चर्म मानव।

कवि-राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
प्रवक्ता हिंदी
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय किरावड़(भिवानी)
पिनकोड-127035

Language: Hindi
589 Views
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