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3 Jun 2024 · 1 min read

सगीर की ग़ज़ल

तेरी फुरक़त में शब गुजारी गई।
दिल की फिर भी ना बेक़रारी गई।

तेरा कुछ भी नही गया जा़लिम।
प्यार में नींद तो हमारी गई।

फेर लेते हैं वो नज़र अब तो।
जिनकी नज़रें तलक उतारी गई।

“सगी़र” कि़स्मत संवारते कैसे।
ज़ुल्फ जिनसे नहीं संवारी गई।

Language: Hindi
1 Like · 28 Views
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