सकट चौथ की कथा
सकट चौथ की कथा
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सकट चौथ की कथा सुनो, यह अतिशय हर्ष-
प्रदाता
इसमें पाया जाता है, माता का सुत से नाता(1)
प्राचीन काल में माघ मास की कृष्ण चतुर्थी
आई
सुत गणेश ने जिम्मेदारी सुत की पूर्ण निभाई(2)
माता पार्वती बोलीं, स्नान हेतु जाती हूँ
नहीं किसी को आने देना, जल्दी ही आती हूँ(3)
प्रिय गणेश ने पहरेदारी जमकर खूब निभाई
शंकर जी आने को आतुर, उनसे हुई लड़ाई(4)
क्रोधित शंकर जी ने सिर ही सुत का काट
दिया था
तब माता ने शोक- ग्रस्त हो, हाहाकार किया
था (5)
जीवित करो पुत्र यह मेरा, तीन लोक के
स्वामी
बिना पुत्र के जीवन होगा, क्या मेरा आगामी?(6)
तुरत- फुरत हाथी का काटा शीश देह से
जोड़ा
हुए गजानन तब गणेशजी, मॉं ने दुख को
छोड़ा( 7)
कथा बताती है, अच्छे सुत आज्ञाकारी होते
भले कार्य- निर्वाह हेतु, अपने प्राणों को खोते(8)
कथा कह रही मातृ-भक्ति जीवन का सार
सही है
बिना पुत्र के माँ का कुछ जीवन – आधार
नहीं है (9)
बेटी -बेटा सदा सर्वदा, माँ के ही गुण गाऍं
माऍं सदा देखकर बेटा-बेटी हर्ष मनाऍं(10)
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451