*संस्कार*
संस्कार
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे आज्ञाकारी हों माता पिता का सम्मान करने वाले हों… तो आपको भी अपने माता-पिता की आज्ञाकारी संतान बनकर आदर्श प्रस्तुत करना होगा…. यदि आप अपने माता-पिता सास-ससुर के साथ नहीं रहते हैं, उनकी बुराई करते हैं, उसको बोझ समझते हैं, तो यही संस्कार आपके बच्चों में अपने आप आ जायेंगे, छुटपन में बच्चों को भले ही अपने मनमाफिक चला लो , लेकिन अपनी उमर में आते ही बच्चे वही करेंगे जो आपने अपने बड़ों के साथ किया है..वो भी आपसे अलग रहकर ही अपनी दुनियाँ बसायेंगे ।सौ में से एक अपवाद स्वरूप औलाद होती है जो माता पिता के नक्शे कदम पर नहीं चलती है बाकी 99% माता पिता की सूरत और सीरत दोनों ही औलाद में दिखती है । अच्छी आदतें भले न आएं बुरी आदतें बहुत जल्दी बच्चे पकड़ते हैं। ये व्यवहारिक सत्य है आप ट्रायल करके देख सकते हो अपने जीवन में , जो आपने अपने माता-पिता के साथ व्यवहार किया है उस व्यवहार की झलक अपने बच्चों में आपको मिलती होगी ।
रहन-सहन, खान-पान और जीवनशैली आप जैसी भले न हो लेकिन विचार और भावनाएं आपके जैसे ही बच्चे में आ जातीं हैं ,हाँ प्रतिशत कम ज्यादा हो सकता है । लेकिन आपके जैसा कुछ भी न हो ऐसा नहीं होता। यही आनुवंशिक लक्षण भी संस्कार कहलाते हैं जिन पर जमाने की हवा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । इसलिए कहा जाता है कि स्वयं अच्छे बनो बच्चों को अच्छे संस्कार दो ।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 19 सितंबर 2024 )