संस्कारी लड़की
तुम उड़ क्यूं नहीं जाती
पंख होते हुए भी
सहती हो
भाग भी नहीं पाती
पैर तुम्हारे सही सलामत है
बोलती भी नहीं ऊंची आवाज़ में
ईश्वर ने मना नहीं किया बोलने से
सब कुछ
पर मौन क्यूं
सब कहते है
बड़ी ही संस्कारी लड़की है।
तुम उड़ क्यूं नहीं जाती
पंख होते हुए भी
सहती हो
भाग भी नहीं पाती
पैर तुम्हारे सही सलामत है
बोलती भी नहीं ऊंची आवाज़ में
ईश्वर ने मना नहीं किया बोलने से
सब कुछ
पर मौन क्यूं
सब कहते है
बड़ी ही संस्कारी लड़की है।