संवेदना जगी तो .. . ….
संवेदना जगी तो ग्रन्थ बन गये
संवेदना जगी तो सन्त बन गये |
संवेदना के इर्द गिर्द सृष्टि का सृजन
संवेदना के संग ही जीवन मरण |
संवेदनाओं के कारण सजे डोली
संवेदनाओं के कारण रंगी होली |
संवेदना विहीन मनुज पशु समान है
संवेदनाओं के कारण भारत महान है |
वेदनाओं को मिटा देती हैं संवेदना
और वेदनाओं का कारण मृत संवेदना |
जीव को निर्जीव से पृथक कर देती संवेदना
कठोर निष्ठुर शब्दों को जन्म देती असंवेदना |
संवेदना ही जो लिख रही ‘प्रतिभा’ सदा
संवेदना ही रच रही इतिहास नित नया |
संवेदनाएं संप्रेषित होती रहें यही कामना
संवेदनाओं में छिपी सृष्टि की सभी सम्भावना |
कभी आँखों को गीली कर देती है संवेदना
कभी भय में समेटे देती है हमें संवेदना |
मरने मत देना मानवता की रीढ़ संवेदना
मनुष्य को मनुष्यता सिखाती यही संवेदना |
……………………………………………