Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2018 · 1 min read

संविधान

●●●●●●●●●●●●●●●●
मैं भारत का संविधान
मैं सबसे कुछ बोल रहा हूँ……
चप्पा चप्पा कण कण में अपना रस घोल रहा हूँ…..
समानता भाईचारे प्रेम कानून की सीख दे रहा हूँ…….
न कोई मुझे छोटा लगे ,
न कोई बड़ा लगे,
मैं तो वो सार हूँ जो सबको एक सार लगे….
तोड़े मैंने तुम्हारे बंधन
जकड़न को तार तार किया,
खुली हवा में जीने का तुमको अधिकार दिया….
मैं हूँ एक संगम जिसको भीमराव ने तैयार किया…
तुम जागो खुद को पहचानो
खुद का मंच तैयार करो…
अभी भी बहके हो तुम
अभी भी पिछड़े हो तुम..
तोड़ दो तुम बहकावे का बंधन
छोड़ दो तुम गुलामी का बंधन….
मैं भारत का संविधान
मैं सबसे कुछ बोल रहा हूँ
मेरी बात को आत्मसार करो
खुद का उद्धार करो ।।
●●●●●●●●●●●●●●●●
जय भीम
जय संविधान

#दिVयाअम्बेDकर

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
फागुन की अंगड़ाई
फागुन की अंगड़ाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
56…Rajaz musaddas matvii
56…Rajaz musaddas matvii
sushil yadav
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
कवि दीपक बवेजा
!! यह तो सर गद्दारी है !!
!! यह तो सर गद्दारी है !!
Chunnu Lal Gupta
हे बुद्ध
हे बुद्ध
Dr.Pratibha Prakash
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
सत्य कुमार प्रेमी
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मार्ग ढूंढने निकले थे रास्ते में एक मोड़ आया
मार्ग ढूंढने निकले थे रास्ते में एक मोड़ आया
Sonam Puneet Dubey
चाँद और इन्सान
चाँद और इन्सान
Kanchan Khanna
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
लक्ष्मी सिंह
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
DrLakshman Jha Parimal
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
Dr fauzia Naseem shad
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
AE888 - TRANG CHỦ AE888 CHÍNH THỨC✔️ MOBILE
AE888 - TRANG CHỦ AE888 CHÍNH THỨC✔️ MOBILE
AE888
..
..
*प्रणय*
ज़िंदगी  है  गीत  इसको  गुनगुनाना चाहिए
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
Dr Archana Gupta
"ढंग से मरने के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
कब तक अंधेरा रहेगा
कब तक अंधेरा रहेगा
Vaishaligoel
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
Priya princess panwar
पल
पल
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
तुम आ जाओ एक बार.....
तुम आ जाओ एक बार.....
पूर्वार्थ
आजकल की बेटियां भी,
आजकल की बेटियां भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*भारतीय शेरनी  विनेश  फ़ौगाट*
*भारतीय शेरनी विनेश फ़ौगाट*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
விடிந்தும்
விடிந்தும்
Otteri Selvakumar
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
Neelam Sharma
3319.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3319.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*हल्दी (बाल कविता)*
*हल्दी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...