संघर्ष
संघर्ष
जो तुमने ठानी है उसे यों ही बीच में नहीं छोड़ सकते,
अराजकता, अनैतिकता, भ्रष्टाचार, अमानवता के साथ संघर्ष से तुम मुंह
नहीं मोड़ सकते.
यह लड़ाई तब तक लड़नी है जब तक प्राण हैं,
चाहे यह लड़ाई तब तक चले जब तक जहान है.
ना सिर्फ तुम लड़ोगे, इन को ख़त्म करोगे,
बल्कि अपने जैसा योद्धा पैदा कर तुम्हारे रूप में होने वाली क्षतिपूर्ति
करोगे.
ध्यान है ना ………
संघर्ष नहीं करना पड़ता खरपतवार को पैदा होने के लिए,
आप और हम नहीं जाते उसे बोने के लिए,
खाद, पानी,वायु सब हासिल कर लेता है,
जब कि मानव यह सब फसल को देता है,
क्या हम फसल लेना बंद कर देते हैं?
खरपतवार को पनपने देते हैं?
फिर यहाँ क्यूँ हार मान रहे हो,
अपनी क्षमताओं को क्यों नहीं पहचान रहे हो?
तुम यही चाहते हो ना कि खाद, पानी, वायु का असर हो फसल के तन पे,
और तम्हारी फसल की खुराक पे खरपतवार ना पनपे.
याद रखो ……….
तुम्हारी इस फसल और खरपतवार की लड़ाई तब तक ख़त्म नहीं हो सकती,
जब तक यह मानवता खरपतवार रहित फसल नहीं बो सकती.
छीन लो वायु, पानी और खाद खरपतवार से और छोड़ दो उसे मरने के लिए,
यही सब करना पड़ेगा फसल का हक़ हासिल करने के लिए.