कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
भुला न पाऊँगी तुम्हें....!
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
शक करके व्यक्ति अपने वर्तमान की खुशियों को को देता है रिश्तो
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
बहुत प्यार करती है वो सबसे
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दुश्मनों को मैं हुकार भरता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
*कविवर डॉ. महेश मधुकर (कुंडलिया)*
नारी और चुप्पी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
🥀✍अज्ञानी की 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
इंसान की बुद्धि पशु से भी बदत्तर है
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
//••• क़ैद में ज़िन्दगी •••//