संक्षिप्त यात्रा मृत्युलोक की
संक्षिप्त यात्रा
मृत्युलोक की
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पैदा हुआ
बहुत रोया
बहुत हंसा
ख़ूब खाया
जी भर कर सोया
थोड़ा बड़ा हुआ
शिक्षा पाई
दीक्षा पाई
काम किया
विवाह किया
परिवार हुआ
प्यार हुआ
तकरार हुआ
कुछ माफ़ किया
कुछ माफ़ हुआ
कुछ याद रहा
कुछ भूल गया
ख़ूब कमाया
सब गंवाया
फिर लौट आया
वहां जहां
प्रतीक्षा नहीं
ख़ुशी नहीं
दुखी नहीं
आंसू नहीं
अंधकार नहीं
हाहाकार नहीं
केवल आत्मा है
परमात्मा है ।
सब हैं
पर कोई नहीं
संक्षिप्त यात्रा
मृत्युलोक की
कैसी रही???
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राजेश’ललित’