Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2017 · 1 min read

सँभालो वतन को अमन के फरिश्तों

122- 122- 122- 122
तनफ्फुर की आंधी जो चलने लगी है
मुहब्बत की शम्मा रतो बुझने लगी है
2
उड़न छू हुई है ये इंसानियत अब
किसी पेड़ पर वो लटकने लगी है

क़यामत की है ये निशानी जहां में
जो अब आदमीयत निगलने लगी है

ग़लत होने वाला है कुछ लग रहा है
मेरी आंख देखो फड़कने लगी है

संभालो वतन को अमन के फरिश्तों
कि अब जिंदगी ये बिखरने लगी है

मिली मुझको जब से हसीं तेरे जैसी
मेरी जिंदगी ये संवरने लगी है

ये फुर्कत सनम की मेरी जान लेगी
ये शब काली नागन सी डसने लगी है

पिला आज मुझको तू ये मयक़दा ही
इसे देख कर प्यास बढने लगी है

सदा दूर रहती थी हमसे हसीं जो
वो मिलने को मुझसे तरसने लगी है

न रोको मुझे आज बहक जाने दे तू
मेरे दिल की धड़कन मचलने लगी है

मिला जबसे हमदम मेरी जिंदगी ये
बिगडते बिगडते संवरने लगी है

अभी रात बाकी अभी बात बाकी
अभी दिलरुबा क्यूँ खिसकने लगी है

चलो आज हद से गुजर जाएं हम तुम
सहर की तरफ सब ये बढने लगी है

कोई तेरे जैसा न “प्रीतम” जहां में
मेरी आंख में तू थिरकने लगी है

195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
কি?
কি?
Otteri Selvakumar
"शाश्वत"
Dr. Kishan tandon kranti
किसने तेरा साथ दिया है
किसने तेरा साथ दिया है
gurudeenverma198
(मुक्तक) जऱ-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
(मुक्तक) जऱ-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
कब भोर हुई कब सांझ ढली
कब भोर हुई कब सांझ ढली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
तो मैं राम ना होती....?
तो मैं राम ना होती....?
Mamta Singh Devaa
■ दिल
■ दिल "पिपरमेंट" सा कोल्ड है भाई साहब! अभी तक...।😊
*Author प्रणय प्रभात*
कहां से कहां आ गए हम..!
कहां से कहां आ गए हम..!
Srishty Bansal
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2721.*पूर्णिका*
2721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
अरशद रसूल बदायूंनी
बाल कविता: मेरा कुत्ता
बाल कविता: मेरा कुत्ता
Rajesh Kumar Arjun
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
manjula chauhan
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कामयाबी
कामयाबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
~~बस यूँ ही~~
~~बस यूँ ही~~
Dr Manju Saini
सवर्ण पितृसत्ता, सवर्ण सत्ता और धर्मसत्ता के विरोध के बिना क
सवर्ण पितृसत्ता, सवर्ण सत्ता और धर्मसत्ता के विरोध के बिना क
Dr MusafiR BaithA
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
Nasib Sabharwal
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
शब्द वाणी
शब्द वाणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
Rajesh vyas
फितरत अमिट जन एक गहना
फितरत अमिट जन एक गहना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
ऐसा बदला है मुकद्दर ए कर्बला की ज़मी तेरा
ऐसा बदला है मुकद्दर ए कर्बला की ज़मी तेरा
shabina. Naaz
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
The_dk_poetry
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...