श्रृगार छंद – मात्रिक
श्रृगार छंद – मात्रिक
दया ही ईश्वर का आधार,
करो सब पापों का प्रतिकार।
बैर सब जाओ मित्रो भूल,
उड़ा दो प्रेम रतन की धूल।
करो मत मानवता को खण्ड,
त्याग दो दंभ, द्वेष, पाखण्ड।
पढ़ो तुम गीता वेद पुराण,
सभी हैं देते अद्भुत ज्ञान।
वारती जीवन हम पर मात,
ईश से बढ़कर हैं निज तात।
हमेशा रखिए इनका ध्यान,
जगत में पाओगे सम्मान।
बनेंगे बिगडे सारे काम,
रखो मन मंदिर में प्रभु नाम।
पंकज शर्मा “परिंदा”.