*श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ के गीता-प्रवचन*
श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ के गीता-प्रवचन
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श्री राम सत्संग मंडल, अग्रवाल धर्मशाला, रामपुर में प्रतिदिन होने वाले श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ के गीता-प्रवचन आज दिनांक 30 जून 2022 बृहस्पतिवार को सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ । प्रातः ठीक नौ बजे आप का प्रवचन कुछ श्लोकों और मंत्रों के उच्चारण के साथ आरंभ होकर आधे घंटे तक चला। तदुपरांत श्री सुधीर अग्रवाल द्वारा रामचरितमानस के कुछ अंश पढ़े गए । हम सब ने भी उन अंशों को दोहराया । अंत में दो बहनों द्वारा दो सुंदर भजन प्रस्तुत किए गए। राम-नाम की माला 108 मनकों के साथ ताली बजाते हुए समस्त उपस्थित भक्तजनों द्वारा गाई गई।
विष्णु जी का प्रवचन देखते ही बनता है । भगवद्गीता आसन के सम्मुख खुली हुई रखी थी लेकिन एक बार भी शायद उस पर दृष्टिपात करने की आवश्यकता विद्वान वक्ता को नहीं हुई । आज ईश्वर के अविनाशी तत्व की ओर आपने उपस्थित जनों का ध्यान आकृष्ट किया । आपने बताया कि परमात्मा अविनाशी है अर्थात कभी उसका नाश नहीं होता । आप ने यह भी कहा कि वास्तव में तो संसार का जो नाशवान स्वरूप है, वह भी ईश्वर का ही दृश्य है तथा उसमें भी परमात्मा विद्यमान रहता है । लेकिन हमारी मूल खोज ईश्वर के अविनाशी स्वरूप को जानने-पहचानने और उसके प्रत्यक्ष दर्शन की होनी चाहिए । मनुष्य का भी मूल स्वरूप अविनाशी है । हम वास्तव में नाशवान शरीर नहीं हैं, अपितु अविनाशी आत्मा हैं । और यह अविनाशी आत्म-तत्व ईश्वर का ही एक अंश है । जो सब जीवों में निवास करता है ।
बड़े भाग्य से हमें मनुष्य योनि मिली है, इसका उपयोग करते हुए हम भविष्य में अपने आप को उच्चतर अवस्था में प्रवेश कराने के लिए कर सकते हैं । अन्य पशु योनियॉं केवल भोग-योनि होती हैं। जबकि मनुष्य के जीवन में यद्यपि उसे प्रारब्ध तो भोगना ही पड़ता है लेकिन उसको यह विशेषता प्राप्त है कि वह यत्न करके अपने आप को उच्च स्थिति में ले जा सकता है और अपना विकास कर सकता है । इस कार्य के लिए व्यक्ति को कुछ देर के लिए शांत और एकांत में बैठने का अभ्यास डालना चाहिए ।
अपने भीतर प्रवेश करते हुए अंतर्मुखी बनने से परमात्मा के दर्शन संभव हो जाते हैं अन्यथा तो भोग-विलास में सारा जीवन बीत जाता है और फिर कुछ भी हाथ नहीं आता । सिवाय हाथ मलने के व्यक्ति के पास कुछ शेष नहीं रहता । सत्संग में व्यक्ति को जीवन के महान उद्देश्यों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है ।
गीता के विषय में विष्णु जी ने कहा कि इसमें अपार ज्ञान भरा हुआ है और व्यक्ति इस के अध्ययन से बहुत कुछ सीख सकता है । परमात्मा का अविनाशी स्वरूप गीता में स्पष्ट बताया गया है ।
श्री विष्णु जी के उपदेश समझ में आने वाले, सरल और व्यवहारिक हैं । श्रोता उनमें जहॉं एक ओर विचारों की गहराई महसूस कर सकते हैं वहीं दूसरी ओर उन विचारों की सहजता उनके लिए अधिक ग्राह्य हो गई है।
लोक जीवन में व्यक्ति का स्वभाव अपने गुण तथा दूसरों के दोष देखने में निमग्न रहता है। विष्णु जी ने कहा कि अपने गुण देखने से व्यक्ति को अभिमान होता है तथा दूसरों के दोष ढूॅंढने से उसके अंदर कुछ न कुछ दोषों की अभिवृद्धि हो जाती है । अंत: अच्छा तो यही है कि हम दोष अपने ढूॅंढें और गुण दूसरों के तलाश करें । ऐसा करने से धीरे-धीरे हमारे दोष कम होते चले जाऍंगे तथा दूसरों के गुण हमें प्राप्त होने लगेंगे । जीवन सुधर जाएगा और संसार सुखमय बन सकेगा ।
विष्णु जी जिस परिपक्वता के साथ श्री राम सत्संग मंडल का संचालन कर रहे हैं, वह रामपुर की ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत की एक अनूठी मिसाल है । ठीक नौ बजे सत्संग आरंभ होता है और ठीक दस बजे घड़ी देखकर विष्णु जी कार्यक्रम का समापन कर देते हैं । बड़े से बड़े संत भी जब श्री राम सत्संग मंडल के कार्यक्रम में पधारते हैं तो विष्णु जी का अनुशासन सब के ऊपर एक समान चलता है । सभी समय के पाबंद रहते हैं ।
अभी दो-चार दिन पहले विष्णु जी ने मुझे बताया था कि उन्होंने अपने साधकों को अधिक नहीं तो योग के तीन सिद्धांत बताए हैं। एक: ओम का जाप दूसरा: सॉंसों को गहरा लेना और छोड़ना तथा तीसरा: तालियॉं बजाना । इस दृष्टि से आज तालियॉं बजाने का कार्य राम-नाम की 108 मनकों की माला जपते समय विष्णु जी सहित सभी भक्तजनों को करते हुए देखना अत्यंत सुखद रहा । विष्णु जी के मतानुसार इससे शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है तथा स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं । सत्संग में एक प्रकार से कहें तो चुटकी बजाते ही यह लाभ मिल जाते हैं । विष्णु जी भारतीय संस्कृति के सनातन जीवन मूल्यों को जन-समूह के सम्मुख रखने वाले प्राणवान वक्ता हैं । बाल्यावस्था से ही साधु-संतों के सत्संग में आपकी रुचि है । सैकड़ों साधु-संतों के प्रवचन-श्रवण का आप को लाभ प्राप्त हो चुका है । न जाने कितने संतो को श्री राम सत्संग मंडल, अग्रवाल धर्मशाला, रामपुर के सत्संग भवन में आमंत्रित करके उनके प्रवचन की व्यवस्था आपके द्वारा की जाती रही है । संक्षेप में आप धर्मशास्त्रों के रहस्यों को जानने तथा उस जाने हुए को जन-जन तक पहुॅंचाने के लिए प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आप आयु के 83 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं । फिर भी दैनिक-सत्संग का जो नियम आपके जीवन में बना हुआ है, उसका पालन आप विधिवत रूप से कर रहे हैं । आप को सुनना परम सौभाग्य का विषय है। संसार में इने-गिने लोग ही ईश्वर की प्राप्ति के बारे में सोचते हैं। उनमें से भी कुछ लोग ही लक्ष्य के लिए सचेत रहते हैं । अपवाद-रूप में ही कुछ लोग लक्ष्य प्राप्ति की सफलता के निकट पहुॅंच पाते हैं । श्री विष्णु जी एक ऐसे ही अपवाद स्वरूप महापुरुष हैं।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451