श्री नेता चालीसा (एक व्यंग्य बाण)
प्रजातंत्र का ध्यान कर, राजनीति चित लाय ।
नेताजी के गुण कहूं, कुर्सी शीश नवाय ।।
जय जय जय नेता महाराजा ।
प्रजातंत्र के तुम हो राजा ।।
गुण अवगुण कछु कहे न जाई ।
शारद शेष न कहत अघाई ।।
भारत ने आजादी पाई ।
प्रकटे उसी समय सब भाई ।।
चले गए राजा महाराजा ।
आप पधारे सहित समाजा ।।
पंच और सरपंच विधायक ।
आप ही हो कुर्सी के लायक ।।
आप ही मंत्री मुख्यमंत्री ।
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री ।।
आपसे कोई बचे न कुर्सी।
महामहिम अध्यक्ष की कुर्सी ।।
जब भी कुर्सी कम पड़ जाती।
निगम मंडल में नई बन जाती ।।
तुमरी महिमा कही न जाई ।
सभी दलों में पैठ बनाई ।।
मूल्यों की राजनीति करते ।
बिना मूल्य कोई काम न करते ।।
तुम्हारा ध्यान धरे जो कोई ।
सकल पदारथ पावे सोई ।।
धन आभूषण रत्न चढ़ावे ।
वो नर सकल मनोरथ पावे ।।
श्रद्धा सहित जो भोग लगावे ।
सुरासुंदरी संग में लावे ।।
ता पर कृपा तुरत होई जाई ।
शंका मन मत पालहु भाई ।।
जिन पर ये कृपा बरसा दें।
रंक से राजा तुरत बना दें ।।
कई दल तोड़े कई बनाए ।
फिर भी मन में नहीं अघाए ।।
छवि आपकी है अति न्यारी ।
सत्ता सुंदरी आपको प्यारी ।।
बिन सत्ता व्यग्र हो जाते ।
मनगढ़ंत आरोप लगाते ।।
आंदोलन में रत हो जाते ।
गांव शहर सब बंद कराते ।।
जब भी सत्ता में आ जाते ।
शांत चित्त हो माल कमाते ।।
नहीं है कोई तुम्हारा सानी ।
बड़े बड़ों ने बात ये मानी ।।
तुम मिलकर सरकार बनाते ।
मूल्यों से सरकार गिराते ।।
कार्यपालिका पुलिस तुम्हारी ।
तुम पर सब जाते बलिहारी ।।
भ्रष्ट बेईमान सब बंदे ।
सादर देते हैं सब चंदे ।।
बाहुबली गुंडे मुस्तंडे ।
धर्म समाज के अंडे पंडे ।।
नामचीन उद्योगपति सब ।
व्यापारी धन्ना सेठ और पब ।।
कर जोरे सब द्वार खड़े हैं ।
नाथ आपके ठाट बड़े हैं ।।
तुमसे जो जन है टकराता ।
घोर कष्ट जीवन में पाता।।
नहीं सहाय उसका है कोई ।
जा पर कुदृष्टि आपकी होई ।।
आप में अवगुण सकल समाए ।
कौन गुणों की गिनती गाए ।।
कलयुग में है राज तुम्हारा ।
तुम्हें न कोई मारन हारा ।।
प्रेस मीडिया चंवर डुलाते ।
महिमा कहते नहीं अघाते ।।
आईएएस आईपीएस फिरते पीछे ।
सभी तुम्हारे हाथ के नीचे ।।
दिन को कह दो, रात हो जाए।
रात को कह दो, दिन हो जाए ।।
लेता नहीं तुमसे कोई पंगा ।
जब चाहो करवा दो दंगा ।।
तुमने सभी जनों को साधा ।
नहीं है कोई पथ में बाधा ।।
ऊंच-नीच का भेद बढ़ाया ।
अगड़े पिछड़ों को लड़वाया ।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई ।
सबके हो प्रभु आप सहाई ।।
दो पल में सब को भड़का दें।
जब चाहे जब आप लड़ा दें ।।
नाथ और का करूं बढ़ाई ।
महिमा अकथ कही न जाई ।।
नेताजी को सुमर के, जो नर करता ध्यान ।
मोटी मुद्रा भेंट करे, तुरत होए कल्याण ।।
जो नर चालीसा पढ़े, हाईकमान सिर नाय ।
लोकसभा अरु विधानसभा, शीघ्र टिकट पा जाय ।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी