श्री कृष्ण जन्म कथा भाग – 2
सुन कन्या की बात , कंश कुछ समझ न पाया ।
सैनिक था हर द्वार , कृष्ण कब बाहर आया ।
कन्या की यह बात , सही या केवल माया ।
कहां जना है कृष्ण , कंश क्रोधित चिल्लाया ।।
कहां जना है कृष्ण , अभी सब पता लगाओ ।
अगल-बगल के राज्य , सैनिकों दौड़े जाओ ।
लिया जन्म जो आज , सभी को मार गिराओ ।
बचे न कोई लाल , कि इतने खून बहाओ ।।
डरा हुआ अब कंश , दे रहा खुदी दुहाई ।
उधर नंद के गाँव , बजे घर-घर शहनाई ।
कभी बेड़ियाँ देख , काल को बाँध न पाई ।
पहुँच कंश के स्वप्न , बात कह गये कन्हाई ।।
झूल रहें है कृष्ण , नंद बाबा के द्वारे ।
लगा सोचने कंश , काल को कैसे मारे ।
लगा भेजने रोज , असुर अनगिन अंगारे ।
असुर कंश के वीर , कृष्ण के हाथों हारे ।।
मल्लयुद्ध प्रस्ताव , कंश का गोकुल आया ।
सुनकर यह प्रस्ताव , नंद का मन घबराया ।
हँसकर बोले कृष्ण , कंश शायद पगलाया ।
आज बनेगी काल , कंश तेरी ही माया ।।
चले साथ अक्रूर , कृष्ण अरु दाऊ भ्राता ।
तोड़ रहे थे कृष्ण , कंश जो जाल विछाता ।
हुआ कंश संहार , जगत यह कथा सुनाता ।
तिहूँ लोक जयकार , हुआ जय कृष्ण विधाता ।।
श्याम रूप हैं कृष्ण , वशन उनका है पीला ।
नटखट माखन चोर , लगे है बड़ा हठीला ।
छलिया यह गोपाल , कृष्ण मन का रंगीला ।
मनमोहक है रूप , और इसकी यह लीला ।।