श्री कृष्ण का चक्र चला
असुर दैत्य दुष्ट पापियों का
जब जब धरा पर पाप बढ़ा
साधु संत ऋषि मुनियों पर
जब इनका अत्याचार बढ़ा
तब तब धर्म की रक्षा हेतु
प्रभु श्री कृष्ण का चक्र चला।
महाभारत में छल से कौरव ने
पांडवों का राज्य छीन कर
उनके अधिकारों का हनन किया
द्रोपती को भरी सभा में लाकर
उसके चिर् का हरण किया।
तब नारी के सम्मान के लिए
प्रभु श्री कृष्ण का चक्र चला।
अभिमानी उस शिशुपाल ने
जब धर्म को ललकारा
पांडवों की भरी सभा में
श्री कृष्ण का अपमान किया
सौ अपराध माफ किए पर
फिर भी अभीमानी नहीं माना
प्रभु श्री कृष्ण का चक्र चला।
सुन लो दुष्ट पापी अभिमानी
तुम इतना ना दंभ भरो
अपने अभिमान में चूर होकर
सनातन पर ना चोट करो
पाप का घड़ा थोड़ा ही खाली है
जिस दिन समझलो वह भरा
प्रभु श्री कृष्ण का चक्र चला।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’