श्री कृष्णा
उम्रें बीती सदियां गुज़री,बीती सभी बहारें।
दरस नाही दिखाया कान्हा,कैसे हम पुकारे।
दीवाने भये हम तो,सुन सुन के बांसुरी तान।
मन अपना बोले कन्हैया,सुनो लगा के कान।
कौन समझे व्यथा मोरी,,कौन धरावें धीर
कान्हा जी तुम आकर समझो मेरी पीर।
गोपियों संग रास रचावे,, नाचे तू राधे संग
माखनचोर मुझे ही बस ,करते हो तुम तंग।
मन मोरे तुम ही बसे हो, तुझ से लागी लगन
ऐसा न हो तुम को रटते,बन जाऊं मैं जोगन।
सुरिंदर कौर