अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ग़ज़ल:- तेरे सम्मान की ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी अब...
नल बहे या नैना, व्यर्थ न बहने देना...
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
💐प्रेम कौतुक- 292💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
"बन्दगी" हिंदी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*