श्रावण मास निराला है
रिमझिम बरस रहा सावन, भीग रहा मन का आंगन
चंहु ओर सुखद हरियाली है, मनमोहक छटा निराली है
घनघोर घटाएं छाई हैं, बाढ़ नदी में आई है
धुले धुले हैं शैल शिखर, वन पर्वत रहे रिझाई हैं
रंग-बिरंगे परिधानों में, सखियां सभी सजी हैं
हाथों में बज रही चूड़ियां, मेहंदी गजब रची है
नख से शिख सोलह सिंगार, और बगिया में झूले हैं
सप्त स्वरों में गूंज रहे, गीत भी नए नवेले हैं
आया है श्रावण सोमवार, भारत का अद्भुत त्योहार
हर ओर सजे शिवाले हैं, हर हर महादेव के मेले हैं
व्रत उपवास शिव आराधन के, रंग बड़े अलबेले हैं
हर हर गंगे अमरनाथ, पूरब से पश्चिम गूंज रहा
बोल बम हरि ऊं की धुन से, धरती अंबर डोल रहा
नर्मदे हर हर उदघोष, नर्मदा परिक्रमा में गूंज रहा
हर तीरथ की अलग छटा, यह श्रावण मास निराला है
रक्षाबंधन का त्यौहार, संसार मनाने वाला है