आज श्रवण भी शर्माया
जिसने तुमको खुन से सींचा,
तुम उस माँ पर, क्यों हो गया बेरहम ।
तुझको और तेरी बीवी को,
क्या बिल्कुल न लगता शर्म ।।
उस माँ का दिल भी,
सोचता होगा, कैसा है संसार ।
जिसको तन से, जन्म दिया मैं,
वो करता ना मुझसे प्यार ।।
उस माँ के पीट जाने पर,
कवि का, दिल बहुत गरमाया ।
तेरे जैसे बेटों के चलते,
आज श्रवण भी शरमाया ।।
हे भगवन तुम,
ऐसे बेटे-बेटी को, क्यों देते हो जन्म ।
माँ ने बहुत ही प्यार किया है,
फिर क्यों उसकी, आँखें हुई है नम ।।
कवि पूछता है,
चुप रहता है, यहाँ क्यों सारा जमाना ।
ऐसी घटना किया हो जिसने,
उसे सजा जरूर दिलवाना ।।
कवि :- मनमोहन कृष्ण
तारीख :- 19/09/2020
समय :- 12 : 45 ( रात्रि )