श्रद्धा
श्वांस में हो प्रभू डोर और मन में श्रद्धा हो,
कोई भी कार्य फिर कठिन नहीं होता है |
दूध पिलाती नहीं माँ अपने ही बच्चे को,
जब तक हाथ पैर मार शिशु नहीं रोता है |
प्रेम भाव रखो तुम प्रभु से अगाध फिर,
देखो तब कौन कार्य सिद्ध नहीं होता है |
आस्था का अश्रु उनके चरणों मे गिराओ तो,
पाओगे हमेशा उनका हाथ सिर पर होता है||
—- अशोक