Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2024 · 1 min read

Sad shayri

कुछ टूटे हैं ख़्वाब मेरे कुछ को अब भी बुन रहा,
जो उठ रहीं आवाजें मुझ पर उनको भी सुन रहा… !
बड़ा मुश्किल होता हैं जवाब देना
जब कोई चुप रह के सवाल करता हैं ।।

─❀⊰─❀⊰─❀⊰─❀⊰─❀⊰─

Language: Hindi
72 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

4311.💐 *पूर्णिका* 💐
4311.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*मासूम पर दया*
*मासूम पर दया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
पत्थर की अभिलाषा
पत्थर की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
Bundeli doha-fadali
Bundeli doha-fadali
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिल हर रोज़
दिल हर रोज़
हिमांशु Kulshrestha
विपत्ति में, विरोध में अडिग रहो, अटल रहो,
विपत्ति में, विरोध में अडिग रहो, अटल रहो,
पूर्वार्थ
होते हम अजनबी तो,ऐसा तो नहीं होता
होते हम अजनबी तो,ऐसा तो नहीं होता
gurudeenverma198
People often dwindle in a doubtful question,
People often dwindle in a doubtful question,
Chaahat
वतन
वतन
Ashwini sharma
अगर प्रेम में दर्द है तो
अगर प्रेम में दर्द है तो
Sonam Puneet Dubey
*तलाश*
*तलाश*
Vandna Thakur
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
श्री राम मंदिर
श्री राम मंदिर
Mukesh Kumar Sonkar
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
- ख्वाबों की बारात -
- ख्वाबों की बारात -
bharat gehlot
क्षणिका :
क्षणिका :
sushil sarna
"मातृत्व"
Dr. Kishan tandon kranti
विश्वास
विश्वास
Bodhisatva kastooriya
आल्ह छंद
आल्ह छंद
Godambari Negi
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मिनखपणौ
मिनखपणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
तुझे बताने
तुझे बताने
Sidhant Sharma
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
इंकलाब जिंदाबाद
इंकलाब जिंदाबाद
Khajan Singh Nain
खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता मे रहा
खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता मे रहा
Ranjeet kumar patre
Loading...