श्याम हारे, गोरे हारे, पाये नहीं जीत
श्याम हारे, गोरे हारे, बच सका न कोइ मीत,
जान सके तो जान लें , किससे हो भयभीत,
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भेष बदल कर चढ़ गये, चुन चुन रंगमंच,
अभिनय किये सफल, जो छुड़ाए प्रपंच.
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गौतम ते बुद्ध हुये , बुद्धत्व किये प्रसार,
जड़ चेतन मेल से, जगत सत्य आकार.
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अपना दीपक स्वयं बनो पेश करी मिशाल,
मन का तिमिर हटा ,कर हाथ दिये मशाल,
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शरण खुद की भली साधो खुद पर ध्यान,
अज्ञान जड़ ते कटे, हाथ लगे बढ़े विज्ञान.