शोले भड़के है हवा कौन करे
शोले भड़के है, हवा कौन करे।
हर तरफ दर्द है दवा कौन करे।।
मालूम है दोनो को आग सुलग चुकी।
इस आग को अब जवां कौन करे।।
चाहते है दोनो,गले से लिपटना।
मसला ये है,शुरुआत कौन करे।।
लगी है आग अब दोनो ही तरफ।
इसको बुझाने का यत्न कौन करे।।
मुलाकात तो होती है पर बात नही होती।
बात करने की शुरुआत अब कौन करे।।
हकीम है रस्तोगी इस मर्ज का बना।
पता है दवा सबको,पर दवा कौन करे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम