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13 Apr 2018 · 1 min read

शेर

बरछी चुभ के आप सहलाते हैं देखिए
क्या दामने हवा से कभी आग बुझी है?

नकोई शिकवा न परेशानी है
क्या जानिए कैसी ये बदगुमानी है ।
मन पे एक खुमारी सी है छाई
जमाना हुआ आंखों को नींद न आई ।
दाताके देने में कहीं कोई कमी न थी
अपना ही दामन तंग हो तो कोई क्या करे।

Language: Hindi
483 Views
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