शेर
बरछी चुभ के आप सहलाते हैं देखिए
क्या दामने हवा से कभी आग बुझी है?
नकोई शिकवा न परेशानी है
क्या जानिए कैसी ये बदगुमानी है ।
मन पे एक खुमारी सी है छाई
जमाना हुआ आंखों को नींद न आई ।
दाताके देने में कहीं कोई कमी न थी
अपना ही दामन तंग हो तो कोई क्या करे।