Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2023 · 1 min read

#शेर

#शेर

1 Like · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मैं तुझसे नज़रे नहीं चुराऊंगी,
मैं तुझसे नज़रे नहीं चुराऊंगी,
Jyoti Roshni
** अब मिटाओ दूरियां **
** अब मिटाओ दूरियां **
surenderpal vaidya
Beautiful & Bountiful
Beautiful & Bountiful
Shyam Sundar Subramanian
जिंदगी ना जाने कितने
जिंदगी ना जाने कितने
Ragini Kumari
डुबो दे अपनी कश्ती को किनारा ढूंढने वाले
डुबो दे अपनी कश्ती को किनारा ढूंढने वाले
Sahil Ahmad
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चमक..... जिंदगी
चमक..... जिंदगी
Neeraj Agarwal
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
Ranjeet kumar patre
उलझ नहीं पाते
उलझ नहीं पाते
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
Nilesh Premyogi
जिंदा होने का सबूत
जिंदा होने का सबूत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
Kanchan Alok Malu
4417.*पूर्णिका*
4417.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गणेश आये
गणेश आये
Kavita Chouhan
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
आज भी मुझे याद है
आज भी मुझे याद है
manorath maharaj
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
gurudeenverma198
" फ़ौजी"
Yogendra Chaturwedi
Teacher
Teacher
Rajan Sharma
लम्बा पर सकडा़ सपाट पुल
लम्बा पर सकडा़ सपाट पुल
Seema gupta,Alwar
कोई नी....!
कोई नी....!
singh kunwar sarvendra vikram
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कब आये कब खो गए,
कब आये कब खो गए,
sushil sarna
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
कवि दीपक बवेजा
" घर "
Dr. Kishan tandon kranti
वे आजमाना चाहते हैं
वे आजमाना चाहते हैं
Ghanshyam Poddar
जब सहने की लत लग जाए,
जब सहने की लत लग जाए,
शेखर सिंह
मतदान
मतदान
Kanchan Khanna
Tum khas ho itne yar ye  khabar nhi thi,
Tum khas ho itne yar ye khabar nhi thi,
Sakshi Tripathi
Loading...