शराब मुझको पिलाकर तुम,बहकाना चाहते हो
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
मित्र, चित्र और चरित्र बड़े मुश्किल से बनते हैं। इसे सँभाल क
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
भारत
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस
क्रोध को नियंत्रित कर अगर उसे सही दिशा दे दिया जाय तो असंभव
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
If you ever need to choose between Love & Career
एतबार इस जमाने में अब आसान नहीं रहा,
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
हिंदू धर्म आ हिंदू विरोध।